हिन्दी साहित्य
Tuesday, April 21, 2020
सुबह सुहानी छाँव में,
पक्षी के मधु कुंजन में,
गुमसुम सा बैठा है कोई
गुम साथी की याद में।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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