Saturday, July 10, 2021

 

सुबह-सबेरे आशा की किरण कहती है,

बरसेंगे आज उम्मादों के बादल।

दिन कड़ी धूप में गुजर जाता है,

शाम होते ही फिर छा जाते उदासी के बादल।


                                      डॉ. मंजूश्री गर्ग

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