Thursday, February 29, 2024


पतझड़ है, आँधियाँ नहीं, गिरायेंगी सूखे पात ही।

नव कोंपलें मुस्कायेंगी, पहनेंगे पेड़ नव दुकूल।।


डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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