Thursday, December 7, 2023


 गीत

डॉ. मंजूश्री गर्ग


सूरज ढ़लने लगा, ढ़लने लगी है शाम।

श्याम रात मिलन की आने लगी है।


दिन-भर तो बाँसुरिया तेरी

हर किसी का मन बहलाये

रात गये जब बजे बाँसुरिया

मेरे प्यार के गीत सुनाये।


रंग-बिरंगे फूल बागों के

मधुपों का मन बहलाये

रात गये जब खिले है रानी

तेरा-मेरा मन लुभाये।

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