गीत
डॉ. मंजूश्री गर्ग
सूरज ढ़लने लगा, ढ़लने लगी है शाम।
श्याम रात मिलन की आने लगी है।
दिन-भर तो बाँसुरिया तेरी
हर किसी का मन बहलाये
रात गये जब बजे बाँसुरिया
मेरे प्यार के गीत सुनाये।
रंग-बिरंगे फूल बागों के
मधुपों का मन बहलाये
रात गये जब खिले है रानी
तेरा-मेरा मन लुभाये।
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