Sunday, December 24, 2023


आँख-मिचौली खेलोगे

यूँ ही कब तक प्रिये!

एक दिन करना ही होगा

समर्पण तुमको प्रिये!

 

      डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

No comments:

Post a Comment