फादर कामिल बुल्के
डॉ. मंजूश्री गर्ग
जन्म-तिथि- 1सितम्बर, सन् 1907 ई. बेल्जियम
पुण्य-तिथि- 17 अगस्त, सन् 1982 ई. दिल्ली
फादर कामिल बुल्के ईसाई
पादरी थे. ‘यूवेन विश्वविद्यालय’ से इंजीनियरिंग की डिग्री
प्राप्त कर सन् 1935 ई. में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये भारत आये. सबसे पहले आपने
भारत का भ्रमण किया और भारत को अच्छी प्रकार से समझा. झारखंड में गणित के अध्यापक
भी रहे. अन्य भारतीय भाषाओं के साथ आपने हिन्दी भाषा भी सीखी और जाना कि हिन्दी
भाषा में कितना अधिक समृद्ध साहित्य लिखा जा चुका है. लेकिन हिन्दी भाषा को वो
स्थान प्राप्त नहीं है जिसकी वो अधिकारिणी थी. आपने आजीवन प्रयास किया कि हिन्दी
भाषा को उसका उचित स्थान मिले और हिन्दी भाषा-भाषी हिन्दी बोलने में गर्व का अनुभव
करें. साथ ही आप चाहते थे कि हिन्दी भाषा भारत की राष्ट्र भाषा बने.
फादर कामिल बुल्के ने पं.
बदरीदत्त शास्त्री से हिन्दी और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की. सन् 1940 ई. में ‘विशारद’ की परीक्षा उत्तीर्ण की.
कलकत्ता विश्व विद्यालय से संस्कृत में एम. ए.(1942-44) किया. सन् 1945 ई. से सन्
1949 ई. तक इलाहाबाद विश्व विद्यालय से हिन्दी साहित्य में (रामकथा- उत्पत्ति और
विकास) शोधकार्य किया. फादर कामिल बुल्के के शोध कार्य की विशेषता थी कि यह पहला
शोध ग्रंथ था जो हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया गया, इससे पहले किसी भी विषय का
शोध ग्रंथ अंग्रेजी भाषा में ही प्रस्तुत करने की अनुमति थी. साथ ही आपके
शोध-प्रबंध की विशेषता थी कि आपने वैज्ञानिकता के आधार पर उद्धरण प्रस्तुत करते
हुये यह सिद्ध किया कि राम वाल्मीकि के काल्पनिक पात्र नहीं हैं वरन् इतिहास पुरूष
हैं.
फादर कामिल बुल्के को सन्
1951 ई. में भारत की नागरिकता प्राप्त हुई. आप ईसाई कैथोलिक पादरी होते हुये भी
राम के अनन्य भक्त थे; तुलसी, वाल्मीकि के अनन्य प्रशंसक थे व रामचरित मानस के अनुरागी थे. सन् 1972
ई. में आपको भारत सरकार की केन्द्रीय हिंदी समिति का सदस्य बनाया गया. सन्
1973 ई. में आपको बेल्जियम की रायल अकादमी का सदस्य बनाया गया. सन् 1974 ई.
में आपको पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया. साथ ही आपको भारत-रत्न,
पद्म श्री और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया.
फादर कामिल बुल्के की अनेक
रचनाओं में विशेष है बाइबिल का हिन्दी भाषा में अनुवाद और प्रथम बार
हिन्दी-अंग्रेजी शब्द-कोश का निर्माण.
No comments:
Post a Comment