बाल मुकुन्द जी(1865-1907) के शब्दों में
संसार की भाषाओं में हिन्दी भाषा का स्थान-
अंग्रेज इस समय अंग्रेजी को संसार-व्यापी भाषा बना रहे हैं और सचमुच यह सारी पृथिवी की भाषा बनती जाती है. वह बने, उसकी बराबरी करने का हमारा मकदूर(सामर्थ्य़) नहीं है, पर तो भी यदि हिन्दी को भारतवासी सारे भारत की भाषा बना सके तो अंग्रेजी के बाद दूसरा दर्जा पृथिवी पर इसी भाषा का होगा।
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