Friday, October 27, 2023



महारास-शरद् पूर्णिमा

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

चन्द्रमा की सोलह कलायें होती हैं, एक कला बाल-चंद्र के रूप में हमेशा शिवजी की जटाओं में सुशोभित होती है। केवल शरद् पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा शिवजी से अपनी सोलहवीं कला को लेकर अवतरित होता है, इसलिये शरद् पूर्णिमा की चाँदनी सब पूर्णिमाओं से अधिक होती है। इसी दिन श्रीकृष्ण भगवान ने वृन्दावन में महारास रचाया था, जिसमें वृन्दावन की राधा और गोपियों ने ही नहीं वरन् स्वर्ग से देवी-देवताओं ने भी आकर गोपियों का रूप रखकर श्रीकृष्ण के साथ नृत्य किया था। प्रत्येक गोपी को ऐसा अहसास हुआ कि श्रीकृष्ण उसी के साथ नृत्य कर रहे हैं। वास्तव में श्रीकृष्ण इतनी तीव्रगति से नृत्य कर रहे थे कि नृत्य में मग्न प्रत्येक गोपी को यह अहसास हुआ कि श्रीकृष्ण उसी के साथ नृत्य कर रहे हैं

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