Wednesday, September 3, 2025


सुनहरी यादें बीते कल की

सुनहले सपने फिर कल के।

तैरते आँखों में पल-प्रतिपल।

मानों सुबह-शाम के बीच

बैठें हों हम भरी धूप में।

 

        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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