तांडव नृत्य
नटराज रूप में
शिव ने किया।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
श्री गौरी पुत्र
मयूर वाहन पे
कार्तिकेय जी।
सजे कलश
छलके रंग द्वार
पावन पर्व।
जब भी दर्पण देखा,
दीदार हो गया।
अपनी सूरत की जगह,
तेरी सूरत नजर आयी।।
देवी रूप में
मंदिर में विराजे
दिव्य ज्योति।