हिन्दी साहित्य
Sunday, May 10, 2020
चाहे-अनचाहे मोड़ों ने, जीवन का दिया नया रूप।
जैसे सीधा-सपाट कागज कोई, बन गया हो नाव।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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