हिन्दी साहित्य
Tuesday, November 24, 2020
हवायें जरा धीरे चलो,
नदिया जरा धीरे बहो।
अधूरी है कहानी अभी,
मत कहना दूर तक अभी।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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