हिन्दी साहित्य
Tuesday, May 18, 2021
मैं नजर से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाये।
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढ़ल न जाये।।
अनवर मिर्जापुरी
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