Friday, May 7, 2021


हो तिमिर कितना भी गहरा,

हो रोशनी पर लाख पहरा,

सूर्य को उगना पड़ेगा,

फूल को खिलना पड़ेगा।

 

हो समय कितना भी भारी,

हमने ना उम्मीद हारी,

दर्द को झुकना पड़ेगा,

रंज को रूकना पड़ेगा।

 

सब थके हैं सब अकेले,

लेकिन फिर आएंगे मेले,

साथ ही लड़ना पड़ेगा,

साथ ही चलना पड़ेगा।

 

                 रामधारी सिंह दिनकर

 

  

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