Saturday, March 16, 2024

मुरादों की मंजिल के सपनों में खोये,

मुहब्बत की राहों में हम चल पड़े थे।

जरा दूर चल के जब आँखें खुली तो,

कड़ी धूप में हम अकेले खड़े थे।


            सुदर्शन फाकिर 

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