हिन्दी साहित्य
Tuesday, June 10, 2025
आज कहाँ
!
आज में
जीते हैं हम।
कल की
यादों में
जीते हैं या
कल के
सपनों में
जीते हैं हम।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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