Thursday, July 31, 2025


चाँदनी कहती- दीपक से

व्यर्थ ही तुम जलते हो

रोशन हैं राहें सारी

मेरी ही रोशनी से।

 

दीपक कहता- चाँदनी से

मैं तो जलता प्रीत निबाहने

बिन मेरे कैसे रोशन होंगी

राह पतंगे की।

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        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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