Thursday, July 9, 2020


पास बैठे रहो, चाहे रूठे ही रहो।
मुस्का के मना लेंगे तुम्हें।
प्यार से, मनुहार से मना लेंगे तुम्हें।
फिर भी अगर ना माने तो
खुद रूठ कर मना लेंगे तुम्हें।

                   डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, July 8, 2020



रैन बिना जग दुखी और चन्द्र बिन रैन।
तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैन।।
                                             अमीर खुसरो

Monday, July 6, 2020



कभी मुस्कुराया, कभी गुनगुनाया।
इस तरह आँसुओं को बहलाया।।

                                        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, July 5, 2020




गुरू मेरा ज्ञान, गुरू हिरदय ध्यान, गुरू गोपाल पुरख भगवान,
गुरू मेरी पूजा, गुरू गोविन्द, गुरू मेरा पार ब्रह्म, गुरू भगवंत।
                                           गुरू गोविन्दसिंह




5 जुलाई, 2020 गुरू पुर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें

समाज में अध्यापक का महत्वपूर्ण स्थान है. वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बौध्दिक परम्परायें और तकनीकी कौशल पहुँचाने का केन्द्र है और सभ्यता के प्रकाश को प्रज्वलित रखने में सहायता देता है।
                                      डॉ. राधा कृष्णन्




Friday, July 3, 2020



परीक्षा-घड़ी
धैर्य और संयम
खोयें ना हम।

               डॉ. मंजूश्री गर्ग


Wednesday, July 1, 2020




1जुलाई, 2020 डॉ. कुँअर बेचैन जी को शुभ जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनायें
एवम्
दीर्घायु की कामना के साथ
आपके ही गीत का कुछ अंश

सूखी मिट्टी से कोई भी
मूरत ना कभी बन पायेगी
जब हवा चलेगी, यह मिट्टी
खुद अपनी धूल उड़ायेगी
                    इसलिए सजल बादल बनकर, बौछार के छींटे देता चल।
                   यह दुनिया सूखी मिट्टी है, तू प्यार के छींटे देता चल।।

सूरज डूबा तो अम्बर को दे गया सितारों के छींटे
मधुऋतु भी जाने से पहले दे गयी बहारों के छींटे
सावन लौटा तो दुनिया को मिल गये मल्हारों के छींटे
बादल भी मिटने से पहले दे गया फुहारों के छींटे

तू भी कुछ नयी उमंगों से
अपने जीवन के रंगों से
               सुबहों-जैसे शुभ सिंदूरी श्रृंगार के छींटे देता चल।
                     यह दुनिया सूखी मिट्टी है, तू प्यार के छींटे देता चल।।


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