Wednesday, July 1, 2020




1जुलाई, 2020 डॉ. कुँअर बेचैन जी को शुभ जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनायें
एवम्
दीर्घायु की कामना के साथ
आपके ही गीत का कुछ अंश

सूखी मिट्टी से कोई भी
मूरत ना कभी बन पायेगी
जब हवा चलेगी, यह मिट्टी
खुद अपनी धूल उड़ायेगी
                    इसलिए सजल बादल बनकर, बौछार के छींटे देता चल।
                   यह दुनिया सूखी मिट्टी है, तू प्यार के छींटे देता चल।।

सूरज डूबा तो अम्बर को दे गया सितारों के छींटे
मधुऋतु भी जाने से पहले दे गयी बहारों के छींटे
सावन लौटा तो दुनिया को मिल गये मल्हारों के छींटे
बादल भी मिटने से पहले दे गया फुहारों के छींटे

तू भी कुछ नयी उमंगों से
अपने जीवन के रंगों से
               सुबहों-जैसे शुभ सिंदूरी श्रृंगार के छींटे देता चल।
                     यह दुनिया सूखी मिट्टी है, तू प्यार के छींटे देता चल।।


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