Wednesday, December 8, 2021


हजार गम सही दिल में खुशी मगर यह है,

हमारे होठों पर मांगी हुई हँसी  तो नहीं।


                कृष्ण बिहारी नूर

Tuesday, December 7, 2021

 

सर्दी की धूप

चाँदनी सी शीतल

सुहानी लगे।


                          डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, December 6, 2021


मय पी के जो गिरता है तो लेते हैं उसे थाम

नजरों से गिरा जो उसे फिर किस ने सँभाला।


                          नजीर अकबराबादी 

Saturday, December 4, 2021

 


हिन्दी भाषा का मानक रूप पुस्तक मैंने हिन्दी व्याकरण पर लिखी है. इस पुस्तक में बहुत ही सरल और सहज भाषा में हिन्दी व्याकरण को विस्तार से समझाने का प्रयास किया है. प्रारम्भ में हिन्दी भाषा का क्रमिक विकास और भविष्य पर लेख लिखा है. पुस्तक में हिन्दी भाषा का वर्णन दो भागों में किया है-

1.       भाषा की संरचना- इसमें भाषा की लिपि, वर्ण, शब्द(शब्द स्रोतों के साथ-साथ शब्द रचना का वर्णन करते हुये उपसर्ग, प्रत्यय, संधि, समास, आदि का वर्णन किया है), पद, पदबन्ध(पदबन्ध के साथ ही संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, आदि का वर्णन किया है), वाक्य, विराम चिह्न, आदि का वर्णन किया है.

2.       2. भाषा की शक्ति- इसमें भाषा की शक्ति, मुहावरे-लोकोक्ति, प्रतीक-विधान, बिम्ब-विधान, अलंकार, आदि का वर्णन किया है.


प्रिय पाठकों आपको यह जानकर हर्ष होगा कि मेरी पुस्तक हिन्दी भाषा का मानक रूप अब 

Pothi.com

https://pothi.com/pothi/book/300-हिन्दी-भाषा-का-मानक-रूप

 के साथ-साथ

Flipkart:-

https://www.flipkart.com/hindi-bhasa-ka-manak-roop/p/itmafea560686t66?pid=9789352817825

 

 

Amazon.in:-

https://www.amazon.in/dp/9352817826?ref=myi_title_dp

 

पर भी उपलब्ध है।



पारस छूकर लोहा सोना बन जाता,

पर, पारस पारस ही रहता।।


              डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, December 2, 2021



सम्बन्धों की देहरी पर खिले प्यार के फूल।

रखना कदम आगे विश्वासों के साथ।।


                डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

Wednesday, December 1, 2021


मेरे मिलन में तुम हो प्रिये! मेरे विरह में भी तुम।

मेरी जीत में तुम हो प्रिये! मेरी हार में भी तुम।

मेरी मुस्कान में तुम हो प्रिये! मेरे अश्रु में भी तुम।

 मेरी साँसों की लय में तुम ही तुम हो प्रिये!

 

                    डॉ. मंजूश्री गर्ग