31 अक्टूबर, 2024 कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि, गुरूवार
शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
अँधेरी नहीं है आज मावस की रात।
अनगिन दीपों से जगमगा रही है धरा।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
आँखों की ज्योति तुम ही,
अधरों की मुस्कान तुम ही।
दिल की धड़कन ही नहीं,
स्पन्दन भी हो तुम ही।।
जब भी दर्पण देखा,
दीदार हो गया।
अपनी सूरत की जगह,
तेरी सूरत नजर आयी।।
दिखे नहीं फिर भी रहे खुशबू जैसे साथ
उसी तरह परमात्मा संग रहे दिन रात।
नीरज
समय की दहलीज पर जला दो आज चिराग।
रोशन होंगी आने वाली राह अँधेरी।।
सुबह सुहानी धूप है, रात मधुर है चाँदनी।
प्रिय मुस्कान तुम्हारी है जीवन दायिनी।।