Tuesday, June 9, 2015

26 दिसम्बर, 2004

(डॉ0 मंजू गर्ग)

26 दिसम्बर, 2004
पलभर का पृथ्वी का हिलना
औ' ताश के पत्तों की तरह
सुमात्रा का बहना
देखते ही देखते
सुनामी का तांडव
छः देशों के तट पर
ढाता  रहा कहर.

दक्षिण एशिया का नक्शा ही
विश्व के मानचित्र में बदल गया.
यह शहरों या गावों का नहीं
द्वीपों की तबाही का दिन था
तटीय जिंदगी की नीरवता का दिन था.

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