हिन्दी साहित्य
Friday, June 26, 2015
बनते वृत्त
केंद्र में हम ही हैं
पाते चुभन.
-----------मंजू गर्ग
केंद्र में व्यक्ति ही रहता है और वृत्त बनते जाते हैं, परिवार, समाज, देश, विश्व के. इन्हें बंधन कहें या सुरक्षा
कवच. इन्हीं से अस्तित्व है अपना और यही देते हैं चुभन.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment