Sunday, June 27, 2021

 

बूँद मैं, समुद्र तुम

कण मैं, पर्वत तुम

पाँखुरी मैं, फूल तुम

अंश तुम्हारा ही हूँ प्रभु मैं

 

                      डॉ. मंजूश्री गर्ग

 


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