गीत
डॉ. मंजूश्री गर्ग
चाँदनी रात में फिर-फिर के आया करो,
सो भी जाऊँ मैं अगर तुम जगाया करो,
गीत प्यार के
गाया करो।
‘हर-सिंगार’ सी बिछकर जीवन में,
सूने मन को महकाया करो,
गीत प्यार के
गाया करो।
‘निर्झर’ सी बहकर जीवन में
तन की तपन बुझाया करो,
गीत प्यार के
गाया करो।
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