आतुर तुमसे मिलने को,
झाँक रहा खिड़की से चाँद।
धीरे-धीरे मुस्कुरा रहा,
चाँदनी बरसा रहा चाँद ।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment