Saturday, September 18, 2021


बूँद मैं, समुद्र तुम।

कण मैं, पर्वत तुम।

पाँखुरी मैं, फूल तुम।

अंश हूँ, तुम्हारा ही प्रभु मैं।।

 

           डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

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