Sunday, June 30, 2024


घिस-घिस चंदन महक लुटाये,

पिस-पिस मेंहदी रंग लाये।

फूल खिलें, सजें या बिखरें,

हर पल पवन को महकायें।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, June 29, 2024


क्रिकेट की उमंग बढ़ी,

जोश भरी टोली चली।

जीत में झूम चली,

देश में धूम मची।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग


वर्ल्ड कप विजेता भारतीय टीम को बहुत-बहुत बधाई

Friday, June 28, 2024


घिस-घिस चंदन महक लुटाये,

पिस-पिस मेंहदी रंग लाये।

फूल खिलें, सजें या बिखरें,

हर पल पवन को महकायें।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, June 27, 2024

 

जहाँ पूर्ण विकास है,

वहाँ ठहराव है।

जहाँ ठहराव है

वहाँ विकास का मार्ग अवरूद्ध है।।


                डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, June 26, 2024


प्यार किया है  हमने तुमसे

बदनाम  नहीं  होने देंगे।

चाहतों को दिल में छुपा लेंगे

राह में मिले तो नजरें झुका लेंगे।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, June 25, 2024


 शांत बहुत शांत हैं सागर की लहरें।

तूफान आने की प्रबल संभावनायें हैं।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, June 24, 2024


    क्यारियों में सजे नहीं,

    ये बात और है।

    गुलाब किसी से,

    कम नहीं हैं हम।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

Sunday, June 23, 2024


शब्दों के मनकों में, मन की आभा।

कविता की माला में, जीवन गाथा।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, June 22, 2024

 

ना दृढ़ इतने कि

झुको तो टूट जाओ।

ना कोमल ही

जो चाहे मोड़ ले तुम्हें।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग


Friday, June 21, 2024

 

    

कविता बिना भाव,

व्यंग्य बिना धार,

गीत बिना लय,

शोभा नहीं देते।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Thursday, June 20, 2024

 

    

हर रिश्ते को थोड़ी परवरिश चाहिये,

थोड़ी धूप, थोड़ी छाँव चाहिये।

स्नेह का जल, प्यार के छींटे चाहिये,

अपनेपन की थोड़ी हवा चाहिये।।

 

        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, June 19, 2024


   इंसानियत की धरा में

     प्यार के बीज बो दो।

आज नहीं, तो कल

     मानवता के फूल खिलेंगें।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

   

Tuesday, June 18, 2024


तुम आये तो जीवन की राह नजर आई।

अँधेरे में उजाले की ज्यों किरण नजर आई।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, June 17, 2024


जिंदगी तो जानी-मानी ये दीवानी है

कब इसने दिया साथ किसी का ये बेमानी है।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, June 16, 2024


नफरत में भी वो हमसे प्यार करते हैं।

 सुबह-शाम नजर भर देख लेते हैं।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, June 15, 2024


तप रही है धरा,

तप रहा है गगन।

छाँव भी छाँव

ढ़ूँढ़ती तरू-तले।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, June 14, 2024


आँधियों में उजड़े चमन, बसाती प्यार की बयारें।

आँधियाँ हों नफरत की, तो बसायेगा फिर कौन?


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, June 13, 2024


पंख जल गये हैं सभी कड़ी धूप में।

फिर भी मन की उड़ानें लगती हैं सुन्दर।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, June 12, 2024


जिंदगी में छाँव बनकर आप आये हैं।

अब हमें धूप सुहानी लग रही है।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, June 11, 2024


 ठोकर नहीं कहती कि रोक दो बढ़ते कदम।

कहती है बढ़ते रहो आगे सँभल-सँभल कर।।


डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, June 10, 2024


बिन थामे ही हाथ, हमेशा

थामे रहते हाथ हमारा।

कैसे कह दें! साथ नहीं हो,

पल-पल साथ निभाते हो।।


डॉ. मंजूश्री गर्ग 


मंजिल पानी है गर

अवरोधों से डरना कैसा!

कौन है? जिसने ताप सहा नहीं

सूरज जैसा चमका जो भी।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, June 8, 2024

 

    

    तुम साथ थे मेरे

    तुम साथ हो मेरे

    तुम साथ रहोगे हमेशा।

    मेरी बातों में तुम

    मेरे ख्बाबों में तुम

    मेरी यादों में तुम

    मेरे गीतों में तुम

    मेरी गजलों में तुम

    तुम ही तुम हो

    जीवन के हर पल में तुम।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, June 7, 2024


दो जन मिले बिना, सम्भव नहीं,

बात प्यार की हो, या तकरार की।।


डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, June 6, 2024


कोई हार कर भी खुश है,

कोई जीत कर भी नहीं।

अपनी-अपनी परिधियाँ,

हार जीत की सबकी।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 


मत अधीर हो धरा, आ पहुँचे पाहुने बादल।

रससिक्त तुम्हें कर, पहनायेंगे चूनर धानी।।


डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, June 4, 2024



        रिमझिम-रिमझिम सावन जैसा,

    पल-पल बरसता प्यार तुम्हारा।

    अन्तरतम तक जो भिगो दे,

    ऐसा मधुरिम प्यार तुम्हारा।।

       

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, June 3, 2024


ठुकराइये या अपनाइये,

रूठिये या मनाइये।

हम तो जियेंगें तेरे नाम से,

मरेंगें तो तेरे नाम से।।


    डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, June 2, 2024


 जमीं पर नहीं पड़ते हैं कदम हमारे,

अरमानों को पंख लगे हैं आज।

आकाश को छू लेंगे एक दिन हम,

चाहतों में नया रंग भरा है आज।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, June 1, 2024


 

तन के गहने

हैं अनगिन।

मन का सिंगार

तुम हो प्रियतम।।


    डॉ. मंजूश्री गर्ग