जमीं पर नहीं पड़ते हैं कदम हमारे,
अरमानों को पंख लगे हैं आज।
आकाश को छू लेंगे एक दिन हम,
चाहतों में नया रंग भरा है आज।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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