Wednesday, December 7, 2022


मीलों चले छाँव की चाह में.

छाँव मिली तो तन्हाई ही तन्हाई थी।


                      डॉ. मंजूश्री गर्ग  

Tuesday, December 6, 2022


जोहैं जहाँ मगु नंदकुमार तहाँ चलि चंद्रमुखी सुकुमार है।

मोतिन ही को कियो गहनो सब फूलि रही जनु कुंद की डार है।

भीतर ही जो लखी सो लखी अब बाहिर जाहिर होति न दार है।

जोन्ह सी जोन्हैं गई मिलि यों मिलि जाति ज्यों दूध में दूध की धार है।

                                                      सुखदेव मिश्र 

Monday, December 5, 2022


 

उदासी के किले में तुम कभी भी कैद मत होना।

हमारी याद आये जब तभी तुम मुस्करा लेना।।

                                   नित्यानंद तुषार

Sunday, December 4, 2022



बच्चों को विदेस जाने के बाद भी अपने घर की, अपने गाँव की याद आती रहती है. इसी संवेदना की अभिव्यक्ति कवि ने श्रीकृष्ण के माध्यम से की है-

ग्वाल संग जैबो ब्रज, गैयन चरैबो ऐबो,

अब कहा दाहिने ये नैन फरकत हैं।

मोतिन की माल वारि डारौं गुंजमाल पर,

कुंजन की सुधि आए हियो धारकत है।

गोबर का गारो रघुनाथ कछु यातें भारो,

कहा भयो महलनि मनि मरकत हैं।

मंदिर हैं मंदर तें ऊँचे मेरे द्वारका के,

ब्रज के खरिक तऊ हिये खरकत हैं।

                                               रघुनाथ(कवि) 

Saturday, December 3, 2022


ये मेरे और गम के बीच में किस्सा है बरसों से

मैं उसको आजमाता हूँ वो मुझको आजमाता है।

                          लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

  

Friday, December 2, 2022


रावरे रूप की रीति अनूप नयो-नयो लागत ज्यों-ज्यों निहारिये।

त्यों इन आँखिन बानि अनोखी अघानि कहू नहिं आनि तिहारिये।

                                         घनानन्द 

Thursday, December 1, 2022


जीवन खिले गुलाब सा

महके उपवन सारा

बिखरे तो महके

माटी का कण-कण।


                        डॉ. मंजूश्री गर्ग