हिन्दी साहित्य
Sunday, February 9, 2020
चमकते हैं अभी सितारे, सुबह कहाँ हुई है
!
सोने दो अभी, नयनों में सपने सुहाने हैं।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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