Sunday, September 13, 2020

 


नफरत की तपती धरती में

कहीं छिपे हैं बीज प्रेम के।

आओ नेह का मेह बरषायें

उगेगी हरियाली अपनेपन की।

 

                   डॉ. मंजूश्री गर्ग

 


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