वह नहीं नूतन कि जो प्राचीनता की जड़ हिला दे
भूल के इतिहास का आभास ही मन से मिटा दे।
जो पुरातन को नया कर दे मैं उसे नूतन कहूँगा।
बलवीर सिंह रंग
No comments:
Post a Comment