संसार-भर के उपद्रवो का मूल व्यंग्य है। ह्रदय में जितना यह घुसता है, उतना कटार नहीं। वाक्-संयम विश्वमैत्री की पहली सीढ़ी है।
जयशंकर प्रसाद
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