Sunday, September 17, 2023


विश्वकर्मा दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें

विश्वकर्मा जी



डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

विश्वकर्मा जी सृजन, निर्माण, वास्तुकला, औजार, शिल्पकला, मूर्ति कला एवम् वाहनों सहित समस्त सांसारिक वस्तुओं के अधिष्ठात्र देवता हैं।

 

हिन्दी धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवम् सृजन का देवता माना जाता है। प्रत्येक वर्ष 17 सितम्बर को विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है। अधिकांशतः औद्योगिक इकाइयों में इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है। बंगाल में दुर्गा पूजा के अवसर पर भी विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित होती है। पंडाल में बीच में दुर्गा जी की मूर्ति होती है उनके दोनों तरफ सरस्वती जी, लक्ष्मी जी, गणेश जी और विश्वकर्मा जी की मूर्तियाँ होती हैं। कहीं-कहीं विश्वकर्मा दिवस पर भी विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित करके पूजा अर्चना की जाती है।

 

महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र वृहस्पति की बहन भुवना(जो ब्रह्म विद्या जानने वाली थी) का विवाह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास से हुआ और उन्होंने सम्पूर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता विश्वकर्मा को जन्म दिया। सतयुग में विश्वकर्मा जी ने इन्द्र की नगरी स्वर्ग पुरी को बनाया। त्रेता युग में विश्वकर्मा जी ने लंका में स्वर्ण महल बनाया। द्वापर युग में विश्वकर्मा जी ने द्वारकापुरी का निर्माण किया। कलियुग के प्रारम्भ के 50 वर्ष पूर्व हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। विश्वकर्मा जी ने ही जगन्नाथपुरी में जगन्नाथ मन्दिर व मन्दिर में स्थित विशाल मूर्तियों(कृष्ण, सुभद्रा व बलराम) का निर्माण किया।

 

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