Tuesday, September 5, 2023


उलझे ही रहे हम।

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

उलझे रहे, उलझे रहे,

उलझे ही रहे हम।

कभी बालों में, कभी बातों में,

कभी यादों में, कभी ख्बाबों में।

उलझे ही रहे हम।

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