Thursday, October 31, 2024


31 अक्टूबर, 2024 कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि, गुरूवार

शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें


अँधेरी नहीं है आज मावस की रात।

अनगिन दीपों से जगमगा रही है धरा।।

 

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, October 30, 2024


दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें

 

Tuesday, October 29, 2024


आँखों की ज्योति तुम ही,

अधरों की मुस्कान तुम ही।

दिल की धड़कन ही नहीं,

स्पन्दन भी हो तुम ही।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, October 27, 2024


जब भी दर्पण देखा,

दीदार  हो  गया।

अपनी सूरत की जगह,

तेरी सूरत नजर आयी।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, October 26, 2024



दिखे नहीं फिर भी रहे खुशबू जैसे साथ

उसी तरह परमात्मा संग रहे दिन रात।

                             नीरज


Friday, October 25, 2024


समय की दहलीज पर जला दो आज चिराग।

रोशन होंगी आने वाली राह अँधेरी।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, October 24, 2024


सुबह सुहानी धूप है, रात मधुर है चाँदनी।

प्रिय मुस्कान तुम्हारी है जीवन दायिनी।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, October 23, 2024


फटी  जीन्स  फैशन  है  आजकल का ।

अमीरी-गरीबी  का  हाल क्या कहिये ।।

                    डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, October 22, 2024

 

महानगरों में ही नहीं, संयुक्त परिवारों के टूटने के कारण गाँवों और कस्बों में भी व्यक्तियों को एकाकीपन की वेदना झेलनी पड़ती है क्योंकि-

संयुक्त परिवारों के टूटते ही, संयुक्तता टूटती गयी।

ना आश्रय वृद्धों का रहा, ना छाँव बालकों की रही।

                                      डॉ. मंजूश्री गर्ग



ऊँचाई नहीं होती है पतंग की

ऊँचाई होती है पेड़ की

जो धरती में गढ़ा होता है।

 

क्योंकि पतंग की ऊँचाई

डोर से बँधी होती है

जो होती है किसी और के हाथ

जो जब चाहे ऊपर उठा दे

जब चाहे नीचे गिरा दे

जब चाहे किसी से मिला दे

जब चाहे धरती पे गिरा दे।

 

अब तुम सोच लो ऊँचा उठना है

पेड़ सा या पतंग सा

पेड़ के लिये धरती में गढ़ना होता है

और पतंग के लिये डोर किसी और के हाथों में

देने की मजबूरी है।

       सुरेन्द्र शर्मा


Monday, October 21, 2024


ऐसे बेहाल बेबाइन सों पग, कंटक-जाल लगे पुनि जोये।

हाय महादुख पायो सखा तुम, आयै इतै न कितै दिन खोये।

देखि सुदामा की दीन दसा, करूना करिके करूनानिधि रोये।

पानी परात का हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सौं पग धोये।

 

                                   नरोत्तम दास 

Sunday, October 20, 2024


करवा चौथ

चाँद के साथ देखा।

अपना चाँद।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, October 19, 2024


कल किसने देखा है? कोशिश करें,

आज को कल से बेहतर बनायें।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, October 18, 2024


 आँखों में आँसू, नमी है बनी।

यादों के पौधे, सूखेंगे नहीं।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, October 17, 2024


धूल रोज करता हूँ साफ ह्रदय-पटल से।

चरण-चिह्न अंकित हैं मेरे ह्रदय-पटल पे।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, October 16, 2024


 
16 अक्टूबर, 2024 अश्विन मास पूर्णिमा तिथि, शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें

Tuesday, October 15, 2024


 किनारे-किनारे चलोगे, तो कैसे पार लगोगे।

पानी है मंजिल तो, बीच धार में नाव चलाओ।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, October 13, 2024


चाहे-अनचाहे मोड़ों ने दिया जीवन को नव रूप।

जैसे, सीधा-सादा कागज कोई बन गया हो नाव।। 


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, October 11, 2024



12 अक्टूबर, 2024, अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमीं तिथि विजय दशमी के पावन पर्व पर आप सभी को 

हार्दिक शुभकामनायें

Thursday, October 10, 2024



11 अक्टूबर, 2024 अश्विन मास, शुक्ल पक्ष नवमी तिथि, दुर्गा नवमी की हार्दिक शुभकामनायें

 

 


सजें भवन

बजें चौरासी घंटे

मुस्कायें देवी।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, October 9, 2024


बैर करो तो रावण सा राम से,

मरोगे तो भी तर जाओगे।

प्यार करो तो मीरा सा कृष्ण से,

बिष भी पिओगे तो जी जाओगे।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, October 8, 2024


अँधेरे कब रूके हैं उजालों के आगे।

निराशायें कब रूकी हैं आशाओं के आगे।

आकाश कब दूर है उड़ानों के आगे।

मंजिल कब दूर है चाहतों के आगे।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, October 7, 2024


सवालात सी दीवार उठती सब ओर से

जिंदगी जब भी नया मोड़ लेती है।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, October 6, 2024


चार दिन की चाँदनी से जिंदगी कटती नहीं।

जिंदगी को चाहिये उम्र-भर की रोशनी।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, October 5, 2024


पवन को मिले फूल तो वो महक उठे।

रात को मिले चाँद तो वो जाग उठे।।

लहर को मिले किनारा तो वो बल खाये।

दिल से मिले दिल तो रूप खिल जाय़े।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, October 4, 2024


मुद्दत बाद तस्वीर जो देखी अपनी

अपनी ही सूरत बेगानी नजर आयी।

खिले गुलाबों की जगह सलवटें और

घनघोर घटा से केश रजत-सम दिखे।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, October 2, 2024


 3 अक्टूबर, 2024, अश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि, महाराज अग्रसेन जयंती पर 
अग्रसेन जी को शत्-शत् नमन


3 अक्टूबर 2024, शारदीय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनायें

 


पृथ्वी घूमती सूरज के चारों ओर

चाँद घूमता पृथ्वी के चारों ओर।

होते इसी से दिन-रात जग में

अँधेरी-उजाली रातें होती जग में।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, October 1, 2024


मन के पाँवों में बँधे हैं, उनकी यादों के घुँघरू।

सँभाल के पाँव रखे चाहे जितना, झनकते ही हैं ये घुँघरू।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग