महानगरों में ही नहीं,
संयुक्त परिवारों के टूटने के कारण गाँवों और कस्बों में भी व्यक्तियों को एकाकीपन
की वेदना झेलनी पड़ती है क्योंकि-
संयुक्त परिवारों के टूटते ही, संयुक्तता टूटती गयी।
ना आश्रय वृद्धों का रहा, ना छाँव बालकों की रही।
डॉ.
मंजूश्री गर्ग
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