Monday, July 17, 2017


प्रिय का इन्तजार है............

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

प्रिय का इन्तजार है और
हम संवरने बैठे हैं।

आकाश ने बिखेरे हैं रंग औ
हम कुंकुम लगाये बैठे हैं।

मेंहदी ने बिखेरी है खुशबू, औ
हम मेंहदी लगाये बैठे हैं।

हवायें लाई हैं संदेशा, औ
हम आँचल सँवारे बैठे हैं।

प्रिय का इन्तजार है, औ
हम सँवरने बैठे हैं।

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