हिन्दी साहित्य
Thursday, June 11, 2020
जहाँ तुम्हारी चरण-रज पड़े वहीं है मेरा वृन्दावन-धाम कान्हा।
जहाँ बजे मधुर बाँसुरी की धुन वहीं कदंब की छाया कान्हा।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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