Tuesday, June 30, 2020



हिम श्रेणी अंगूर लता सी
फैली, हिम जल है हाला।
चंचल नदियाँ साकी बनकर
भरकर लहरों का प्याला।
कोमल कूल करों में अपने
छलकाती निशिदिन चलतीं।
पीकर खेत खड़े लहराते
भारत पावन मधुशाला।
                 डॉ0 हरिवंशराय बच्चन



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