हिन्दी साहित्य
Monday, August 3, 2020
राखी
नेह भीगे रेशमी धागे,
प्रेम पगे, रत्न-जड़े धागे।
बहन का प्यार बन मुस्काये,
राखी भाई की कलाई पे।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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