फुदक-फुदक चिड़ियाँ आतीं।
आँगन में दाना हैं खातीँ।।
चीं-चीं-चीं का राग सुनातीं।
सुबह-सबेरे हमें जगातीं।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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