Sunday, August 29, 2021


30 अगस्त, 2021 श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें



कान्हा का जन्मोत्सव

 डॉ. मंजूश्री गर्ग


भादों मास की अँधेरी रात

कड़कती बिजली

घोर गर्जन के साथ

बरसते मेघ।

कंस के कारागार में

देवकी औ वसुदेव

जन्म होते ही कान्हा का

अलौकिक आलोक से

भर गया कारागार-कक्ष

सो गये सभी पहरेदार।

 

कंस के क्रूर अत्याचार से

बचाने के लिये

शीघ्र ही वसुदेव

कान्हा को लेकर

गोकुल को चले।

यमुना उमड़ती चलीं

चरण छूने थे कान्हा के।

चरण छूते ही कान्हा के

शान्त हुआ यमुना का जल।

 

यमुना पार कर गोकुल पहुँचे

वसुदेव अपने मित्र नन्द के यहाँ।

नन्द और यशोदा को

सौंप दिया अपना कान्हा

उनकी नवजात कन्या

लेकर वापस आये कारागार में।

 

सुबह होते ही सारे गोकुल में

कान्हा के जन्म की खबर थी फैली।

गोपियाँ नन्द बाबा के घर आ-आकर

बधाईयाँ दे रही थीं।

नन्द बाबा भी सब की मुँह माँगी

मुरादें पूरी कर रहे थे।

कान्हा की एक झलक पाने को

गोकुलवासी ही नहीं

देवता भी तरस रहे थे।

 

 

 

 

 

 

  

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