Sunday, August 15, 2021



देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से

सिंचित करो धरा समता की भाव वृष्टि से

जाति भेद की, धर्म वेश की

काले गोरे रंग-द्वेष की

ज्वालाओं से जलते जग में

इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है।

 

          द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी 

No comments:

Post a Comment