हिन्दी साहित्य
Friday, August 6, 2021
मन तो पावन धाम है,
जहाँ बसे तीर्थ अनेक।
जब भी झाँका मन में,
नमन प्रभु को कर लिया।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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