Tuesday, January 25, 2022



हिम श्रेणी अंगूर लता सी

फैली, हिम जल है हाला।

चंचल नदियाँ साकी बनकर

भरकर लहरों का प्याला।

कोमल कूल करों में अपने

छलकाती निशिदिन चलतीं।

पीकर खेत खड़े लहराते

भारत पावन मधुशाला।

                 डॉ. हरिवंशराय बच्चन 

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