गजल
डॉ. मंजूश्री गर्ग
कौन कूची कर लिये घूमते रचनाकार।
बदलते ही मौसम रंग बदल देते रचनाकार।।
गीत सुनाते-सुनाते मधुर मिलन का,
राग विरह में बदल देते रचनाकार।।
कभी दिन, कभी रात, कभी मावस, कभी पूनों,
देखते ही देखते पट बदल देते रचनाकार।।
कभी ईख, कभी सरसों, कभी धान, कभी गेहूँ,
देखते ही देखते फसल बदल देते रचनाकार।।
अभी बाल, अभी युवा, अभी
प्रौढ़, अभी वृद्ध,
देखते ही देखते चेहरा बदल देते रचनाकार।।
-----------
No comments:
Post a Comment