Monday, August 21, 2023

 

डॉ. जगदीश गुप्त



डॉ. मंजूश्री गर्ग

जन्म-तिथि- 3 अगस्त सन् 1924 ई.

पुण्य-तिथि- 26 मई सन् 2001 ई.

 

डॉ. जगदीश गुप्त आधुनिक य़ुग के प्रसिद्ध शिक्षाविद्, कवि, आलोचक व चित्रकार थे। नय़ी कविता के प्रमुख कवियों में गुप्त जी का प्रमुख स्थान है। गुप्त जी का माँ श्रीमती रमादेवी व पिता श्री शिवप्रसाद गुप्त था। गुप्त जी की कवितायें जहाँ सरस, सरल व चित्रात्मकता लिये हुये हैं वहीं उनके रेखांकन में कविरूप झलकता है। गुप्त जी ने प्रयाग विश्व विद्यालय से एम. ए. व एम. फिल. किया। गुजराती व ब्रजभाषा कृष्ण-काव्य का तुलनात्मक अध्ययन पर शोधकार्य किया व साहित्य वाचस्पति(पीएच. डी.) की उपाधि प्राप्त की। गुप्त जी का शोधकार्य भारतीय भाषाओं के तुलनात्मक अध्ययन में प्रथम शोधकार्य था। गुप्त जी ने चित्रकला का विधिवत् अध्ययन आचार्य क्षितींद्रनाथ मुजुमदार से प्राप्त किया व विभिन्न शैलियों में अनेकानेक चित्र बनाये। चित्रकला में डिप्लोमा किया।

 

डॉ. जगदीश गुप्त सन् 1950 ई. में प्रयाग विश्व विद्यालय में प्राध्यापक के पद पर नियुक्त हुये और सन् 1987 ई. में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवा निवृत्त हुये। गुप्त जी ने नयी कविता पत्रिका का संपादन किया। कविताओं में जीवन की विभिन्न विसंगतियों के चित्रण के अतिरिक्त प्रकृति व मानवीय सौंदर्य का आकर्षक वर्णन किया।

 

डॉ. जगदीश गुप्त को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा भारत भारती पुरस्कार व मध्य प्रदेश के मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गुप्त जी की प्रमुख रचनायें हैं-

नाव के पाँव, शम्बूक, आदित्य एकान्त, हिम-विद्ध, शब्द-दंश, युग्म, गोपा-गौतम, बोधिवृक्ष, नयी कविता-स्वरूप और समस्यायें, प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला व भारतीय कला के पद चिह्न।

 

डॉ. जगदीश गुप्त द्वारा वर्णित साँझ का प्रकृति-चित्रण-

रवि के श्रीहीन दृगों में

जब लगी उदासी घिरने,

संध्या ने तम केशों में

गूंथी चुनकर कुछ किरनें।

 

जलदों के जल से मिलकर

फिर फैल गये रंग सारे,

व्याकुल है प्रकृति चितेरी

पट कितनी बार सँवारे।

 

 

 

 


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