सरसों खिली
बही पीली नदी
सी
बसन्त आया।
कृष्ण शलभ
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत ऋतु का वर्णन किया है-
देखते हैं जिधर ही उधर ही
रसाल पुंज
मंजू मंजरी से मढ़े फूले न
समाते हैं।
कहीं अरूणाभ, कहीं पीत
पुष्प राग प्रभा,
उमड़ रही है, मन मग्न हुये
जाते हैं।
कोयल उसी में कहीं छिपी कूक
उठी, जहाँ-
नीचे बाल वृन्द उसी बोल से
चिढ़ाते हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
अन्तरराष्ट्रीय साहित्य में
योगदान के लिये अमेरिका की गैर लाभकारी संगठन पेन अमेरिका द्वारा हिन्दी के
प्रसिद्ध कवि और लेखक श्री विनोद कुमार शुक्ल जी को सन् 2023 ई. के पेन/नाबाकोव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्री विनोद कुमार शुक्ल जी को पुरस्कार प्राप्ति पर
हार्दिक शुभकामनायें।
पेन/नाबाकोव पुरस्कार प्रत्येक वर्ष एक ऐसे जीवित लेखक को प्रदान किया जाता है, जिसका काम चिर स्थायी
मौलिकता और उत्कृष्ट शिल्प कौशल वाला हो। यह सम्मान सन् 2000 ई. से शुरू हुआ था।
इसे अमेरिका में साहित्य का ऑस्कर सम्मान माना जाता है।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत को कामदेव का बालक बताया है और सारी प्रकृति उसे दुलारने में लगी है-
डार द्रुम
पलना, बिछौना नवपल्लव के,
सुमन झगुला
सोहै तन छवि भारी दै।
पवन झुलावै
केकी कीर बहरावै देव,
कोकिल हलावै
हुलसावै कर तारी दै।
पूरित पराग सों
उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका
लतानि सिर सारी दै।
मदन महीप जू को
बालक बसंत, ताहि,
प्रातहि जगावत
गुलाब चटकारी दै।
देव
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत ऋतु का
वर्णन किया है-
बरन-बरन तरू
फूले उपवन का,
सोई चतुरंग संग
दल लहियतु।
बंदी जिमि बोलत
विरद वीर कोकिल हैं,
गुंजत मधुप गान
गुन गहियतु है।
आवे आस-पास
पुहुपन की सुवास सोई,
सोने के सुगंध
माझ सने रहियतु है।
सोभा को समाज
सेनापति सुख साज आजु,
आवत बसंत
रितुराज कहियतु है।
सेनापति