Monday, March 6, 2023


सरसों खिली

बही पीली नदी सी

बसन्त आया।

              कृष्ण शलभ 

Sunday, March 5, 2023

 

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत ऋतु का वर्णन किया है-

देखते हैं जिधर ही उधर ही रसाल पुंज

मंजू मंजरी से मढ़े फूले न समाते हैं।

कहीं अरूणाभ, कहीं पीत पुष्प राग प्रभा,

उमड़ रही है, मन मग्न हुये जाते हैं।

कोयल उसी में कहीं छिपी कूक उठी, जहाँ-

नीचे बाल वृन्द उसी बोल से चिढ़ाते हैं।

                        आचार्य रामचन्द्र शुक्ल


Saturday, March 4, 2023

 



अन्तरराष्ट्रीय साहित्य में योगदान के लिये अमेरिका की गैर लाभकारी संगठन पेन अमेरिका द्वारा हिन्दी के प्रसिद्ध कवि और लेखक श्री विनोद कुमार शुक्ल जी को सन् 2023 ई. के पेन/नाबाकोव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्री विनोद कुमार शुक्ल जी को पुरस्कार प्राप्ति पर हार्दिक शुभकामनायें।

पेन/नाबाकोव पुरस्कार प्रत्येक वर्ष एक ऐसे जीवित लेखक को प्रदान किया जाता है, जिसका काम चिर स्थायी मौलिकता और उत्कृष्ट शिल्प कौशल वाला हो। यह सम्मान सन् 2000 ई. से शुरू हुआ था। इसे अमेरिका में साहित्य का ऑस्कर सम्मान माना जाता है।

 

 


 

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत को कामदेव का बालक बताया है और सारी प्रकृति उसे दुलारने में लगी है-

डार द्रुम पलना, बिछौना नवपल्लव के,

सुमन झगुला सोहै तन छवि भारी दै।

पवन झुलावै केकी कीर बहरावै देव,

कोकिल हलावै हुलसावै कर तारी दै।

पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,

कंजकली नायिका लतानि सिर सारी दै।

मदन महीप जू को बालक बसंत, ताहि,

प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।

                       देव


Friday, March 3, 2023


हर लम्हा खुशनुमा हो मुमकिन तो नहीं,

हर बात मन चाही हो मुमकिन तो नहीं।

फिर भी हर हाल में खुश रहने की

कोशिश करना तो, हो सकता है मुमकिन।


                डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

Thursday, March 2, 2023


दीवाली सा दिव्य आलोक हो जीवन में,

निराशा का अंधकार रहे ना मन में।

होली का उल्लास हो जीवन डगर में,

पल-प्रतिपल उमंग उठे बढ़ने की मन में।।


  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, March 1, 2023


प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बसंत ऋतु का वर्णन किया है-

बरन-बरन तरू फूले उपवन का,

सोई चतुरंग संग दल लहियतु।

बंदी जिमि बोलत विरद वीर कोकिल हैं,

गुंजत मधुप गान गुन गहियतु है।

आवे आस-पास पुहुपन की सुवास सोई,

सोने के सुगंध माझ सने रहियतु है।

सोभा को समाज सेनापति सुख साज आजु,

आवत बसंत रितुराज कहियतु है।

                                 सेनापति